महासमुंद। राष्ट्रीय राजमार्ग 53 ग्राम गड़बेड़ा के पास पुलिस की एक बार फिर अमानवीय व्यवहार को लोगों ने देखा और दंग रह गए। साइिकल से रायपुर जा रहे लोगों को पुलिस ने बलपूर्वक रोका और उन्हें घसीटते हुए पुलिस वाहन में बिठाया। मामला पिथौरा थाना क्षेत्र का है। दरअसल, मई 2018 में पिथौरा थाना क्षेत्र के ग्राम किशनपुर में स्वास्थ्य विभाग में पदस्थ एएनएम योगमाया, पति चेतन साहू और उसके दो बच्चों की निर्मम हत्या हुई थी। इसी मामले को लेकर परिजन सीबीआई जांच की मांग कर रहे हैं। मंगलवार को साहू परिवार के कुल 10 सदस्य साइकिल रैली निकालकर राजभवन और मुख्यमंत्री निवास रायपुर जा रहे थे।पुलिस को जब रैली की जानकारी मिली तो बड़ी संख्या में हाइवे में बल तैनात किया गया और सभी को रोक लिया गया। पुलिस ने रैली में शामिल सभी लोगों को उठाकर वाहनों में भरा और थाने में बिठा दिया। इस दौरान पुलिस ने 11 साल की बच्ची को भी नहीं छोड़ा। ज्ञात हो कि मृतक के परिजनों ने 22 फरवरी को एसडीओपी पिथौरा को पत्र के माध्यम से हत्याकांड की सीबीआई जांच व मुख्य आरोपी को गिरफ्तार करने की मांग को लेकर 25 फरवरी को साकइिल रैली निकालकर राजधानी मुख्यमंत्री निवास एवं राजभवन जाने की सूचना दी थी।
परिजनों का कहना मास्टर माइंड अब भी बाहर-
योगमाया के ससुर और चेतन के पिता बाबूलाल साहू ने बताया कि हत्याकांड का मास्टर माइंड अब भी गिरफ्त से बाहर है। यही नहीं पुलिस ने जांच के दौरान भी कई तरह की लापरवाही बरती है। पीएम के दौरान मृतिका के गुप्तांग का परीक्षण नहीं किया और स्लाइड भी नहीं बनाया गया। मृतिका का पीएम महिला डॉक्टर से नहीं कराया गया। पुलिस द्वारा हत्याकांड के इस मामले में पेश किए चालान में फोटोग्रामफ्स भी नहीं लगाया। यही नहीं हत्याकांड से जुड़े विकास पाण्डे, साईं पाण्डे को पुलिस ने गवाह बना दिया है। इससे पहले भी सुरेश खुंटे और अखंडल प्रधान को मुख्य गवाह बनाया था। आरोपी धर्मेन्द्र बरिहा का नार्को टेस्ट की सीडी थाना, एसडीओपी एवं एसपी ऑफिस से उपलबध नहीं करा रहा है।
जानिए, क्या है किशनपुर हत्याकांड-
साल 2018 में 30-31 मई की रात पिथौरा थाना क्षेत्र के किशनपुर में जघन्य हत्याकांड हुई थी। यहां स्वास्थ्य केंद्र में पदस्थ योगमाया साहू, उनकी पति चेतन साहू और दो बच्चों की नृशंस हत्या हो गई थी। इस मामले में पुलिस ने गांव के धर्मेन्द्र बरिहा को गिरफ्तार किया था। इसके बाद परिजनों ने पिथौरा पुलिस से आरोपी धर्मेन्द्र बरिहा का नार्को टेस्ट कराने की मांग की। जिस पर पुलिस ने आरोपी का नार्को टेस्ट कराया। नार्को टेस्ट में गांव के सरपंच सुरेश खुंटे, फूलसिंग यादव, गौरीशंकर केंवट और रामपुर के अखंडल प्रधान का नाम सामने आया था। जिसके बाद पुलिस ने इन्हें अप्रैल 2019 में गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। वर्तमान में सभी आरोपी पुलिस जेल में है।
पहले ही की जा चुकी है जांच-
इधर, पुलिस अधीक्षक जितेन्द्र शुक्ल का कहना है कि परिजनों ने जिन-जिन मुद्दों पर सवाल उठाए थे उन सभी पर जांच की जा चुकी है। पर अब तक ऐसा कुछ नहीं पाया गया। 11 साल की बच्ची को रैली में शामिल करना मानवाधिकार का घोर हनन है। रैली नहीं निकालने के लिए परिजनों को पूर्व में सूचना दे दी गई थी। उन्हें बताया गया था कि रैली की अनुमति नहीं मिली है। इनका लेटर भी उन्हें दिया गया था। वहीं हाइवे से रायपुर जाना उचित नहीं था। परिजनों को बार-बार समझाया जा रहा था, लेकिन नहीं मान रहे थे, इसलिए सुरक्षा के तहत उन्हें रोककर थाने में लाया गया। पुलिस ने उनके साथ कहीं मारपीट नहीं की।